Skip to main content

Posts

Real Heroes Of India History- Maharaja Chhatrasal Bundela

छत्रसाल बुंदेला, जिन्हें महाराजा छत्रसाल के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय इतिहास में एक उल्लेखनीय व्यक्ति थे जो 17वीं शताब्दी के दौरान रहते थे। वह एक बुंदेला राजपूत योद्धा थे जिन्होंने भारत के मध्यकालीन इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। छत्रसाल बुंदेला के बारे में कुछ मुख्य विवरण इस प्रकार हैं: 1. जन्म और प्रारंभिक जीवन: छत्रसाल बुंदेला का जन्म 1649 में मध्य भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र में हुआ था, जो अब मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के आधुनिक राज्यों का हिस्सा है। उनका जन्म बुंदेला राजपूत वंश में हुआ था। 2. मुगलों के खिलाफ संघर्ष: छत्रसाल को मुगल साम्राज्य के खिलाफ प्रतिरोध के लिए जाना जाता है, जो उनके समय में सम्राट औरंगजेब के शासन के अधीन था। उन्होंने मुगल सत्ता के खिलाफ विद्रोह किया और बुन्देलखण्ड में अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित करने की मांग की। 3. मराठों के साथ गठबंधन: छत्रसाल बुंदेला ने मराठों के साथ रणनीतिक गठबंधन बनाया, जो मुगलों के खिलाफ भी लड़ रहे थे। मराठों ने उन्हें सैन्य सहायता प्रदान की और इस गठबंधन ने उन्हें स्वतंत्रता के संघर्ष में मदद की। 4. पन्ना राज्य की स्थापना: मराठो
Recent posts

List of scams in India (by year)

  आजादी से अब तक देश में काफी बड़े घोटालों का इतिहास रहा है। नीचे भारत में हुए बड़े घोटालों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है- जीप खरीदी (1948)               किस्सा सन्‌ 1948 से 1952 के बीच का है। दरअसल, आजादी के बाद नेहरू ने सभी महत्वपूर्ण पदों पर यथायोग्य लोगों की नियुक्तियां की।               भारत में आजादी के बाद जो सबसे पहला व चर्चित घोटाला हुआ, वह जीप घोटाला था। इसे प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान लंदन में पदस्थ किए गए भारतीय उच्चायुक्त वीके कृष्ण मेनन ने अंजाम दिया था।  आजादी के बाद भारत सरकार ने एक लंदन की कंपनी से 2000 जीपों को सौदा किया। सौदा 80 लाख रुपये का था। लेकिन केवल 155 जीप ही मिल पाई। घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वी.के. कृष्ण मेनन का हाथ होने की बात सामने आई। लेकिन 1955 में केस बंद कर दिया गया। जल्द ही मेनन नेहरु केबिनेट में शामिल हो गए। वसूली 1 रुपए की भी नहीं हो पाई. Inflation calculator 1948: 80,00,000( 80 lakh) 2021: 13,37,68,64,504(more than 1 thousand 300 hundred crore) मुंध्रा मैस (1958)                     हरिदास मुंध्र

How To Parse Multiple dates in Java

Parsing a single date like 30 March 1970 can be achieve by   using parse() Method of DateFormat and SimpleDateFormat classes. Date Java String to Single Date Example import  java.text.SimpleDateFormat;   import  java.util.Date;   public   class  StringToDateExample1 {   public   static   void  main(String[] args) throws  Exception {       String sDate1= "31/12/1998" ;       Date date1= new  SimpleDateFormat( "dd/MM/yyyy" ).parse(sDate1);       System.out.println(sDate1+ "\t" +date1);   }  }  Convert Multiple dates to date format Example of converting multiple format dates in date format from Arraylist, database  (dd/mm/yyyy, mm/dd/yyyy, EEE MMM d yyyy)  import  java.text.SimpleDateFormat;   import  java.util.Date;   import  java.text.DateFormat;   import  java.text.ParseException;   import  java.text.SimpleDateFormat;   import  java.util.Arrays; import  java.util.List; public   class  StringToMultipleDateExample {   public   static   void  main(String[] ar

Real Heroes Of India History -Maharana Pratap

महाराणा प्रतापसिंह सिसोदिया ( ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार विक्रम संवत १५९७ तदनुसार ९ मे  १५४०–१९ जानेवारी  १५९७) मेवाडमधील उदयपूर येथील सिसोदिया राजपूत घराण्याचा राजा होता. इतिहासातील शौर्य आणि निर्धार यासाठी त्याचे नाव अमर आहे. त्याने मुघल सम्राट अकबर याच्या अधीन राहण्यास नकार दिला आणि बर्‍याच वर्षांपासून संघर्ष केला. महाराणा प्रताप सिंहनेही अनेक वेळा युध्दात मुघलांचा पराभव केला.            महाराणा प्रतापसिंह यांचे वडील महाराणा उदयसिंह असून त्यांच्या आईचे नाव महाराणी जयवंताबाई असे होते. महाराणा प्रतापसिंह यांचा जन्म ९ मे इ.स.१५४० या दिवशी कुंभलगड येथे झाला.            वास्तवात एखादा मनुष्य एवढे वजन घेऊन साधी हालचाल देखील करू शकत नाही. परंतु तुम्हाला ऐकून आश्चर्य वाटेल की महाराणा प्रताप हे ८० किलो वजनाचा भाला आणि १२ किलो वजनाचे छाती कवच बाळगून वावरायचे.       महाराणा प्रताप यांच्या जन्मस्थळाच्या प्रश्नावर दोन गृहितक आहेत. पहिला महाराणा प्रताप कुंभलगड किल्ल्यात जन्मला कारण महाराणा उदाईसिंग आणि जयवंताबाई कुंभलगड राजवाड्यात लग्न केले होते. दुसरा विश्वास असा आहे की त्याचा