आजादी से अब तक देश में काफी बड़े घोटालों का इतिहास रहा है। नीचे भारत में हुए बड़े घोटालों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है-
- जीप खरीदी (1948)
- एचडीडब्लू दलाली (1987)
- स्टांप पेपर स्कैम
किस्सा सन् 1948 से 1952 के बीच का है। दरअसल, आजादी के बाद नेहरू ने सभी महत्वपूर्ण पदों पर यथायोग्य लोगों की नियुक्तियां की।
भारत में आजादी के बाद जो सबसे पहला व चर्चित घोटाला हुआ, वह जीप घोटाला था। इसे प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान लंदन में पदस्थ किए गए भारतीय उच्चायुक्त वीके कृष्ण मेनन ने अंजाम दिया था।
आजादी के बाद भारत सरकार ने एक लंदन की कंपनी से 2000 जीपों को सौदा किया। सौदा 80 लाख रुपये का था। लेकिन केवल 155 जीप ही मिल पाई। घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वी.के. कृष्ण मेनन का हाथ होने की बात सामने आई। लेकिन 1955 में केस बंद कर दिया गया। जल्द ही मेनन नेहरु केबिनेट में शामिल हो गए। वसूली 1 रुपए की भी नहीं हो पाई.
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1948: 80,00,000( 80 lakh)
2021: 13,37,68,64,504(more than 1 thousand 300 hundred crore)
मुंध्रा मैस (1958)
हरिदास मुंध्रा द्वारा स्थापित छह कंपनियों में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के 1.2 करोड़ रुपये से संबंधित मामला उजागर हुआ। इसमें तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी, वित्त सचिव एच.एम.पटेल, एलआईसी चेयरमैन एल एस वैद्ययानाथन का नाम आया। कृष्णामचारी को इस्तीफा देना पड़ा और मुंध्रा को जेल जाना पड़ा, लेकिन वसूली नहीं हुई.
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1958: 1,20,00,000( 1 Crore 20 lakh)
2021: 15,78,72,87,664(more than 1 thousand 500 hundred crore)
तेजा ऋण:
1960 में एक बिजनेसमैन धर्म तेजा ने एक शिपिंग कंपनी शुरू करने केलिए सरकार से 22 करोड़ रुपये का लोन लिया। लेकिन बाद में धनराशि को देश से बाहर भेज दिया। उन्हें यूरोप में गिरफ्तार किया गया और छह साल की कैद हुई, लेकिन वसूली इसमें भी नहीं हो पाई.
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1960: 22,00,00,000(22 Crore)
2021: 26,40,77,28,669(2 Thousand 6 Hundred and 40 Crore 77 lakh 28 thousand 669)
कुओ ऑयल डील
1976 में तेल के गिरते दामों के मददेनजर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने हांग कांग की एक फर्जी कंपनी से ऑयल डील की। इसमें भारत सरकार को 13 करोड़ का चूना लगा। माना गया इस घपले में इंदिरा और संजय गांधी का भी हाथ है।
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1976: 13,00,00,000(13 Crore)
जर्मनी की पनडुब्बी निर्मित करने वाले कंपनी एचडीडब्लू को काली सूची में डाल दिया गया। मामला था कि उसने २० करोड़ रुपये बैतोर कमिशन दिए हैं। 2005 में केस बंद कर दिया गया। फैसला एचडीडब्लू के पक्ष में रहा।
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1987: 20,00,00,000(20 Crore)
2021: 2,74,56,45,560(274 Crore 56 Lakh 45 Thousand 560)
बोफोर्स घोटाला
1987 में एक स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी से रिश्वत लेने के मामले में राजीव गांधी समेत कई बेड़ नेता फंसे। मामला था कि भारतीय 155 मिमी. के फील्ड हॉवीत्जर के बोली में नेताओं ने करीब 64 करोड़ रुपये का घपला किया है।
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1987: 64,00,00,000(64 Crore)
2021: 8,82,83,31,225(882 Crore 83 Lakh 31 Thousand 225)
चारा घोटाला
चारा घोटाला स्वतन्त्र भारत के बिहार प्रान्त का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला था जिसमें पशुओं को खिलाये जाने वाले चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिये गये। सरकारी खजाने की इस चोरी में अन्य कई लोगों के अलावा बिहार के तत्कालीन मुख्यमन्त्री लालू प्रसाद यादव व पूर्व मुख्यमन्त्री जगन्नाथ मिश्र पर भी आरोप लगा। इस घोटाले के कारण लालू यादव को मुख्यमन्त्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा। लोकसभा में प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस मुद्दे को उठाया गया और सीबीआई जाँच की माँग की गयी। इस गबन की गूँज न सिर्फ़ भारत में बल्कि अमेरिका और ब्रिटेन में भी सुनायी दी जिससे भारत की राजनीति बदनाम हुई। हालांकि यह घोटाला 1996 में हुआ था लेकिन जैसे-जैसे जाँच हुई इसकी पर्तें खुलती गयीं और लालू यादव व जगन्नाथ मिश्र जैसे कई सफेदपोश नेता इसमें शामिल नजर आये। मामला लगभग दो दशक तक चला। मीडिया ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जिसके चलते सीबीआई और न्यायपालिका अपनी-अपनी कार्रवाई में कोई कोताही नहीं कर पायी
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1996: 9,50,00,00,000(950 Crore)
2021: 37,76,93,35,187(3 thousand 7 hundred 76 Crore 93 lakh 35 thousand 187)
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2001: 20,000,000,000,000(20 thousand Crore)
2021: 4,84,38,68,88,91,967(48 Lakh 43 thousand 8 hundred 68 Crore 88 lakh 91 thousand 967)
2001: 17,60,00,10,10,100(1.76 Lakh Crore)
2021: 35,70,50,21,75,120(3 Lakh 57 thousand 50 Crore 21 lakh 75 thousand 120)
Calculation of All Scams With Inflation Charges (सभी घोटालों की गणना)
टेबल पर जाने से पहले आपको पता होना चाहिए
मुद्रास्फीति (या कम बार-बार, मूल्य मुद्रास्फीति) समय की अवधि में अर्थव्यवस्था के मूल्य स्तर में सामान्य वृद्धि है। जब सामान्य मूल्य स्तर बढ़ता है, मुद्रा की प्रत्येक इकाई कम सामान और सेवाएं खरीदती है; परिणामस्वरूप, मुद्रास्फ़ीति मुद्रा की प्रति इकाई क्रय शक्ति में कमी को दर्शाती है - अर्थव्यवस्था के भीतर विनिमय के माध्यम और खाते की इकाई में वास्तविक मूल्य की हानि। मुद्रास्फीति के विपरीत अपस्फीति है, वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में निरंतर कमी। मुद्रास्फीति का सामान्य उपाय मुद्रास्फीति की दर है, सामान्य मूल्य सूचकांक में वार्षिक प्रतिशत परिवर्तन, आमतौर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, समय के साथ
सरल शब्दों में कहा जाये तो उस वक्त के एक रूपये की कीमत आज कितनी होगी उसे ही Inflation कहते है
उदाहरण के लिए यदि 2010 में दूध की कीमत 30 रुपये/लीटर है और अब (2021 में) यह 50 रुपये/लीटर है तो इसे मुद्रास्फीति कहा जाता है। इसका वास्तव में मतलब है कुछ माल सामग्री का उदय
In English: The Rise of certain goods(In our case Rupees is goods)
Name Of Case | Case in Year | Rupees | Today's Price(In 2021) |
---|---|---|---|
जीप खरीदी | 1948 | 80,00,000 | 67,44,20,547 |
मुंध्रा मैस | 1958 | 1,20,00,000 | 1,01,16,30,820 |
तेजा ऋण | 1960 | 22,00,00,000 | 16,92,17,59,300 |
कुओ ऑयल डील | 1976 | 13,00,00,000 | 3,31,18,44,960 |
एचडीडब्लू दलाली | 1987 | 20,00,00,000 | 3,62,46,39,783 |
बोफोर्स घोटाला | 1987 | 64,00,00,000 | 7,24,92,79,567 |
चारा घोटाला | 1996 | 9,50,00,00,000 | 47,38,46,35,739 |
स्टांप पेपर स्कैम | 2001 | 2,00,00,00,00,00,000 | 4,84,38,68,88,91,967 |
२जी स्पेक्ट्रम मामला | 2010 | 17,52,50,35,10,201 | 35,70,50,21,75,120 |
Total | 5,20,89,36,92,77,803 |
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