Skip to main content

Real Heroes Of India History- Maharaja Chhatrasal Bundela


छत्रसाल बुंदेला, जिन्हें महाराजा छत्रसाल के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय इतिहास में एक उल्लेखनीय व्यक्ति थे जो 17वीं शताब्दी के दौरान रहते थे। वह एक बुंदेला राजपूत योद्धा थे जिन्होंने भारत के मध्यकालीन इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। छत्रसाल बुंदेला के बारे में कुछ मुख्य विवरण इस प्रकार हैं:


1. जन्म और प्रारंभिक जीवन: छत्रसाल बुंदेला का जन्म 1649 में मध्य भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र में हुआ था, जो अब मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के आधुनिक राज्यों का हिस्सा है। उनका जन्म बुंदेला राजपूत वंश में हुआ था।


2. मुगलों के खिलाफ संघर्ष: छत्रसाल को मुगल साम्राज्य के खिलाफ प्रतिरोध के लिए जाना जाता है, जो उनके समय में सम्राट औरंगजेब के शासन के अधीन था। उन्होंने मुगल सत्ता के खिलाफ विद्रोह किया और बुन्देलखण्ड में अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित करने की मांग की।


3. मराठों के साथ गठबंधन: छत्रसाल बुंदेला ने मराठों के साथ रणनीतिक गठबंधन बनाया, जो मुगलों के खिलाफ भी लड़ रहे थे। मराठों ने उन्हें सैन्य सहायता प्रदान की और इस गठबंधन ने उन्हें स्वतंत्रता के संघर्ष में मदद की।


4. पन्ना राज्य की स्थापना: मराठों के समर्थन से, छत्रसाल 1675 में पन्ना रियासत की स्थापना करने में सक्षम हुए। पन्ना उनकी राजधानी बन गई, और उन्होंने एक स्वतंत्र राजा के रूप में शासन किया।


5. कला और संस्कृति के संरक्षक: छत्रसाल बुंदेला कला, संस्कृति और साहित्य के संरक्षण के लिए जाने जाते थे। वह स्वयं एक कवि थे और अपने दरबार में विभिन्न कलाकारों और विद्वानों का समर्थन करते थे।


6. विरासत: छत्रसाल बुंदेला की विरासत मुगल साम्राज्य के खिलाफ उनके सफल प्रतिरोध और पन्ना राज्य की स्थापना में निहित है। उनकी रियासत उनकी मृत्यु के बाद भी अस्तित्व में रही और 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश भारत का हिस्सा बन गई।


7. मृत्यु: छत्रसाल बुंदेला का 1731 में निधन हो गया। उनके वंशज 1947 में भारत को आजादी मिलने तक पन्ना राज्य पर शासन करते रहे।

छत्रसाल बुंदेला बुंदेलखण्ड के इतिहास में एक श्रद्धेय व्यक्ति बने हुए हैं और उन्हें मुगल उत्पीड़न के सामने उनकी वीरता और दृढ़ संकल्प के लिए याद किया जाता है। उनकी विरासत का क्षेत्र में जश्न मनाया जाता है और उन्हें विदेशी शासन के खिलाफ प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

Comments

Popular posts from this blog

List of scams in India (by year)

  आजादी से अब तक देश में काफी बड़े घोटालों का इतिहास रहा है। नीचे भारत में हुए बड़े घोटालों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है- जीप खरीदी (1948)               किस्सा सन्‌ 1948 से 1952 के बीच का है। दरअसल, आजादी के बाद नेहरू ने सभी महत्वपूर्ण पदों पर यथायोग्य लोगों की नियुक्तियां की।               भारत में आजादी के बाद जो सबसे पहला व चर्चित घोटाला हुआ, वह जीप घोटाला था। इसे प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान लंदन में पदस्थ किए गए भारतीय उच्चायुक्त वीके कृष्ण मेनन ने अंजाम दिया था।  आजादी के बाद भारत सरकार ने एक लंदन की कंपनी से 2000 जीपों को सौदा किया। सौदा 80 लाख रुपये का था। लेकिन केवल 155 जीप ही मिल पाई। घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वी.के. कृष्ण मेनन का हाथ होने की बात सामने आई। लेकिन 1955 में केस बंद कर दिया गया। जल्द ही मेनन नेहरु केबिनेट में शामिल हो गए। वसूली 1 रुपए की भी नहीं हो पाई. Inflation calculator 1948: 80,00,000( 80 lakh) 2021: 13,37,68,64,504(more tha...

Real Heroes Of India History -Maharana Pratap

महाराणा प्रतापसिंह सिसोदिया ( ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार विक्रम संवत १५९७ तदनुसार ९ मे  १५४०–१९ जानेवारी  १५९७) मेवाडमधील उदयपूर येथील सिसोदिया राजपूत घराण्याचा राजा होता. इतिहासातील शौर्य आणि निर्धार यासाठी त्याचे नाव अमर आहे. त्याने मुघल सम्राट अकबर याच्या अधीन राहण्यास नकार दिला आणि बर्‍याच वर्षांपासून संघर्ष केला. महाराणा प्रताप सिंहनेही अनेक वेळा युध्दात मुघलांचा पराभव केला.            महाराणा प्रतापसिंह यांचे वडील महाराणा उदयसिंह असून त्यांच्या आईचे नाव महाराणी जयवंताबाई असे होते. महाराणा प्रतापसिंह यांचा जन्म ९ मे इ.स.१५४० या दिवशी कुंभलगड येथे झाला.            वास्तवात एखादा मनुष्य एवढे वजन घेऊन साधी हालचाल देखील करू शकत नाही. परंतु तुम्हाला ऐकून आश्चर्य वाटेल की महाराणा प्रताप हे ८० किलो वजनाचा भाला आणि १२ किलो वजनाचे छाती कवच बाळगून वावरायचे.       महाराणा प्रताप यांच्या जन्मस्थळाच्या प्रश्नावर दोन गृहितक आहेत. पहिला महाराणा प्रताप कुंभलगड किल्ल्यात जन्मला कारण महाराणा उदाईसि...

Real Heros of Indian History- Chatrapati Shivaji Maharaj

छत्रपती शिवाजीराजे भोसले  (१९ फेब्रुवारी १६३० ते ३ एप्रिल १६८०) हे इ.स. १८१८ पर्यंत टिकलेल्या आणि आपल्या परमोत्कर्षाच्या अवस्थेत भारतीय उपखंडाचा बराचसा भाग व्यापणाऱ्या मराठा साम्राज्याचे संस्थापक होते. भोसले कुळातील या सुपुत्राने विजापूरच्या आदिलशाहीविरुद्ध आणि मोगल साम्राज्याविरुद्ध ऐतिहासिक संघर्ष करून मराठा स्वराज्य स्थापन केले. रायगड ही राजधानी असलेले स्वतंत्र मराठा राज्य शिवाजीराजांनी उभे केले आणि इ.स. १६७४ मध्ये छत्रपती म्हणून राज्याभिषेक करवून घेतला. शिस्तबद्ध लष्कर व सुघटित प्रशासकीय यंत्रणेच्या बळावर छत्रपती शिवाजी महाराजांनी एक सामर्थ्यशाली आणि प्रागतिक राज्य उभे केले. भूगोल, आश्चर्यजनक वेगवान हालचाली आणि बलाढ्य शत्रूंचे मनोधैर्य खच्ची करणारे नेमके हल्ले यांचा वापर करणारे गनिमी काव्याचे तंत्र त्यांनी यशस्वीपणे वापरले. आपल्या वडिलांकडून मिळालेल्या २,००० सैनिकांच्या छोट्या तुकडीपासून एक लाख सैनिकांचे लष्कर छत्रपती शिवाजी महाराजांनी उभे केले. किनारी आणि अंतर्गत प्रदेशातील किल्ल्यांची डागडुजी करण्यासोबतच अनेक किल्लेही त्यांनी उभारले. राज्यकारभारात मराठी भा...